नयी दिल्ली :पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार सुबह प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया।
क्षेत्र में आसमान में धुंधलापन छाने से लोगों ने गले में खराश और आंखों से पानी निकलने की शिकायत की।
विशेषज्ञों ने बताया कि हवा ना चलने, तापमान में गिरावट जैसी मौसम की प्रतिकूल स्थिति और पड़ोसी राज्यों से पराली जलने का धुआं आने से बुधवार रात वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा।
दिल्ली-एनसीआर में कई लोगों द्वारा करवाचौथ त्यौहार पर पटाखे फोड़े जाने को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर सुबह आठ बजे 561 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो कि पिछले साल 15 नवम्बर के बाद से सर्वाधिक है। उस समय यह 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार बृहस्पतिवार सुबह हवा की अधिकतम गति पांच किलोमीटर प्रति घंटा थी और न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड-19 के दौरान, वायु प्रदूषण राष्ट्रीय राजधानी के लगभग दो करोड़ निवासियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता का विषय बन गया है।
आईएमडी के पर्यावरण निगरानी अनुसंधान केन्द्र के प्रमुख वी. के. सोनी ने कहा, ‘‘ दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सुबह 10 बजे के बाद हवा की गति अचानक से धीमी हो गई थी। वहीं पिछले कुछ दिनों से तापमान में भी काफी गिरावट आ रही है।’’
दिल्ली में सुबह आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 461 दर्ज किया गया। वहीं बुधवार सुबह 10 बजे यह 261 था।
सभी 36 केन्द्रों ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’’ श्रेणी में ही रखा।
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
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