लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने उ0प्र0 कुक्कुट विकास नीति-2022 के अंतर्गत कामर्शियल लेयर फार्म एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की स्थापना के संबंध में संशोधित शासनादेश जारी कर दिया है। नीति के अंतर्गत पक्षी क्षमता कामर्शियल लेयर फार्म की किसी भी क्षमता की इकाई के संबंध में लाभार्थी को अधिकतम 100 लाख का ब्याज उपादान अनुमन्य किया जायेगा।
प्रमुख सचिव, पशुधन श्री के0 रविन्द्र नायक द्वारा जारी संशोधित शासनादेश में उल्लेख है कि उ0प्र0 कुक्कुट विकास नीति-2022 के लाभार्थियों द्वारा समस्त आवेदन पोर्टल पर किये जायेंगे। प्रदेश में न्यूनत्म 10000 पक्षी क्षमता की नई कामर्शियल इकाई या नई ब्रायरल पैरेन्ट फार्म की स्थापना किये जाने पर उद्यमी इस नीति के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने लिए पात्र होंगे। लाभार्थी की किसी इकाई के पॉच किलोमीटर की परिधि में स्थित लाभार्थी की अन्य समस्त इकाइयों को एक ही इकाई माना जायेगा। इस नीति के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए स्थापित की जा रही इकाई के लिए लाभार्थी के पास उक्त क्षमता की इकाई हेतु विभाग द्वारा निर्धारित न्यूनतम भूमि, स्वयं के स्वामित्व में यह न्यूनतम 10 वर्ष की लीज पर उपलब्ध होना अनिवार्य है।
योजनान्तर्गत 10 हजार कामर्शियल लेयर के लिए 01 एकड़, 20 हजार कामर्शियल लेयर के लिए 1.7 एकड़, 30 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 2.5 एकड़, 40 हजार कामर्शियल लेयर के लिए इकाई के लिए 3.0 एकड़, 50 हजार कामर्शियल लेयर के लिए इकाई के लिए 3.5 एकड़, 60 हजार कामर्शियल लेयर के लिए इकाई के लिए 4 एकड़, 70 हजार कामर्शियल लेयर के लिए इकाई के लिए 4.5 एकड़, 80 हजार कामर्शियल लेयर के लिए इकाई के लिए 5 एकड़, 90 हजार कामर्शियल लेयर के लिए इकाई के लिए 5.5 एकड़ एवं 10 हजार ब्रायलर पैरेन्ट के लिए 4 एकड़, 20 हजार ब्रायलर पैरेन्ट के लिए 06 एकड़ तथा 30 हजार ब्रायलर पैरेन्ट के लिए 08 एकड़ भूमि लाभार्थी के स्वामित्व में अथवा कम से कम 10 वर्ष की लीज पर होना अनिवार्य है। पक्षी पालने हेतु कैलीफोर्निया केज पद्धति अथवा किसी अन्य पक्षी अनुकूल पद्धति का प्रयोग किया जायेगा, जिसके लिए मानकों का पालन अनिवार्य होगा।
शासनादेश में कार्य प्रारंभ करने की औचारिकतायें भी निर्धारित की गई हैं। इसके तहत उद्यमी को सर्वप्रथम जनपद के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्धारित प्रारूप पर प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना होगा। प्रार्थना-पत्रों का मूल्यांकन एवं परीक्षण जनपद स्तर पर गठित प्रीअप्रेजल समिति द्वारा किया जायेगा, जिसके अध्यक्ष जनपद के मुख्य विकास अधिकारी होंगे। पशुपालन निदेशालय स्तर पर गठित मूल्यांकन एवं परीक्षण अप्रेजल समिति द्वारा प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान की जायेगी। अनुमोदन के पश्चात उद्यमी के प्रार्थना-पत्र एवं जारी किये गये लेटर ऑफ कम्फर्ट को बैंक ऋण की स्वीकृति हेतु संबंधित बैंक को प्रेषित किया जायेगा। उद्यमी द्वारा लिये गये बैंक ऋण पर 07 प्रतिशत ब्याज दर की प्रतिपूर्ति हेतु प्रत्येक त्रैमास बैंक स्टेटमेंट की प्रति प्रस्तुत करनी होगी।
नीति के तहत उद्यमियों के लिए रियायतें एवं छूट का भी प्राविधान किया गया है। योजना के अंतर्गत स्थापित कुक्कुट इकाइयों के विद्युत बिल में 10 वर्षों तक प्रतिवर्ष एक लाख यूनिट तक इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी पर शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी। इकाई स्थापित करने हेतु क्रय की गई भूमि अथवा लीज पर ली गई भूमि पर स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट मिलेगी। कुक्कुट विकास नीति के अंतर्गत किये जाने वाले समस्त क्रियाकलापों को पशुपालन विभाग के एक डेडीकेटेड पोर्टल द्वारा संचालित किया जायेगा। इस नीति के क्रियान्वयन हेतु डेटाबेस मैनेजमेंट एण्ड प्रोजेक्ट फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना निदेशालय में कराई जायेगी। चयनित लाभार्थियों को उद्यमिता विकास प्रबंधन एवं तकनीकी प्रशिक्षण ख्याति प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से कराया जायेगा। आवश्यकतानुसार अन्य राज्यों में भी कुक्कुट पालन की नवीन तकनीक की जानकारी हेतु भ्रमण भी कराया जायेगा।
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